पंचमपट्टाचार्य आचार्य

श्री 108 विद्याभूषण सन्मति सागर जी

Guruji
  • जन्म स्थानग्राम बरबाई, तह. अम्बाह, जिला मुरैना, म.प्र.
  • जन्म तिथि10-11-1949 (मार्गशीर्ष कृष्णा), गुरुवार प्रातः 5:30 बजे
  • पिता का नाम– श्री बाबूलाल जैन 
  • माता का नाम–  श्रीमती सरोज जैन
  • गृहस्थ अवस्था का नामश्री सुरेशचंद जैन
  • लौकिक शिक्षा -शास्त्री, ज्योतिषल, काव्यतीर्थ, आयुर्वेदरत्न, धर्मालंकार
  • वर्तमान गुरु – षष्टम पट्टाधीश सराकोद्धारक आचार्य श्री 108 ज्ञान सागर जी महाराज
  • दीक्षा तिथि व् स्थान – 24 जनवरी 1996 इटावा (उत्तर प्रदेश )
  • वैराग्य का कारण : संसार की असारता
  • ब्रह्मचर्यव्रत : 1971, पूज्य आचार्य श्री विमलसागर जी महाराज द्वारा
  • प्रतिमा ग्रहण : सातवीं प्रतिमा तक श्री सम्मेद शिखर जी में आ. सुमतिसागर जी महाराज द्वारा
  • क्षुल्लक दीक्षा : श्री सम्मेद शिखर 17-2-1972
  • मुनिदीक्षा : श्री सोनागिर जी में 31-3-1988 आचार्य श्री सुमति सागर जी महाराज से
  • दीक्षागुरु : परम पूज्य आचार्य श्री सुमतिसागर जी महाराज
  • आचार्य एवं पट्टाचार्य पद :मुनिदीक्षा के साथ ही आचार्यकल्प का पद (31-3-1988), नरवर, म.प्र. (10-04-1989) 
  • समाधिमरण एवं स्थान :फाल्गुन शुक्ल तृतीया, 14 मार्च, 2013, शकरपुर, दिल्ली

साहित्यिक रचनाएं

गद्य

आचारांगसार, मुक्तिपथ की ओर, आचार्य विमलसागर अभिवन्दन ग्रन्थ आदि। 

काव्य

मेरी करुण कहानी, मुक्तक निकुन्ज, कुन्दकुन्द गीता आदि ।

विधान

तीनलोक विधान, सर्वतोभद्र स्वयंभूविधान, संकटमोचक शान्तिविधान, कल्याण मन्दिर विधान, मृत्युंजय विधान, पार्श्वनाथ विधान आदि 250 कृतियां

अभिरुचि

सतत साधना, ज्ञानाभ्यास, चिन्तन मनन, पठन पाठन, लेखन, सम्यग्ज्ञान प्रचार आदि।

विशेष कृतित्व

सिंहरथप्रवर्तन, त्रिलोकतीर्थ रचना, विश्वज्ञान शोध संस्थान, स्याद्वाद गुरुकुल

पद अलंकरण

स्याद्वादकेसरी,विद्याभूषण, आचार्य, ज्ञानानन्त, वाणीभूषण, राजर्षि

विशेषज्ञान

अध्यात्म, धर्म, दर्शन, न्याय, ज्योतिष, व्याकरण, संस्कृत, साहित्य, इतिहास, संगीत, काव्य, कला, मनोविज्ञान, मंत्र-तंत्र-यंत्र विज्ञान, योग विज्ञान में वैशिष्ट्य प्राप्त ।