Ahinsha

अहिंसा

सूक्ष्म से सूक्ष्म जीव एवं अन्य सभी जीवों के प्रति अहिंसा

Aprigrah

अपरिग्रह

भौतिक वस्तुओं और इच्छाओ से विरक्ति

सत्य

सच्चाई का पालन और झूठ से बचाव

परम विदुषी लेखिका गणिनी आर्यिका श्री 105 स्वस्तिभूषण माता जी

परिचय

श्री स्वस्तिभूषण
माताजी

परम विदुषी गणिनी आर्यिका रत्न 105
श्री स्वस्तिभूषण माताजी का संक्षिप्त जीवन परिचय

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परिचय

श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान दिगंबर जैन मंदिर जी

स्वसतिधाम अतिशय क्षेत्र मे श्री 1008 मुनिसुवरतनाथ भगवान जी का जहाज की आकृति मे बना विशाल तथा भव्य मंदिर स्थापित है| मंदिर जी के द्वार के बाहर विशाल मानस्तंभ स्थित है |

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शांतिधारा 

प्रतिदिन मंदिर परिसर

समय :  प्रातः 6 बजे से 10 बजे तक 

₹ 1100

सहयोग राशि 

ऑनलाइन शांतिधारा बुक कर सकते है