परम विदुषी लेखिका गणिनी आर्यिका श्री 105 स्वस्तिभूषण माता जी
Layer 114@2x
परिचय

श्री स्वसतिभूषण माताजी

दीक्षा गुरु - सिंहरथ प्रवर्तक, त्रिलोकतीर्थ प्रणेता पंचम पट्टाधीश समाधिसम्राट आचार्य श्री 108 विद्याभूषण सन्मतिसागर जी महाराज
  • जन्म स्थान – छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
  • जन्म तिथि – 1-नवंबर -1969
  • पिता का नाम– श्री मोतीलाल जी जैन
     (वर्तमान में क्षु. श्री परिणाम सागर जी महाराज)
  • माता का नाम– श्रीमती पुष्पा देवी जैन
    (वर्तमान में क्षुल्लिका श्री 105 अर्हतमति माता जी)
  • गृहस्थ अवस्था का नाम– संगीता (गुड़िया)
  • लौकिक शिक्षा – एम.ए (संस्कृत)
  • वर्तमान गुरु – षष्टम पट्टाधीश सराकोद्धारक आचार्य श्री 108 ज्ञान सागर जी महाराज
  • दीक्षा तिथि व् स्थान – 24 जनवरी 1996 इटावा (उत्तर प्रदेश )

किलोमीटेर से भी अधिक पदयात्रा कर देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी विशिष्ट शैली में जिन-धर्म प्रभावना करना

10000

छात्र-छात्राओं को एक साथ सम्बोधित कर उनके ज्ञान चक्षु खोलना

10000

से अधिक साहित्यों एव गद्य- पद्य कृतियों की रचना

0

ध्यान योग व शिक्षण शिविर में अब तक लगभग साधर्मी बंधुओं का प्रेरणास्पद पथ प्रदर्शन

10000
कल्याण जो निरंतर है, कल्याण जो सतत है

पूज्य गुरु माँ एक प्रेरणा

पूज्य गुरु माँ से प्रेरणा पा अनेकों जैन व् जैनेत्तर महानुभावों ने धर्म , प्रोफेशनल स्टडीज, कला, खेल, व्यावसाय आदि क्षेत्रों में खुद को स्थापित किया और उसका पूर्ण निष्ठा से निर्वहन कर रहे हैं और प्रगति पर अग्रसर होने हेतु पूज्य माता जी से समय समय पर प्रेरणा व आशीर्वचन लेते रहते हैं|
उनके आशीष से रंजित हो तक़दीर संवर जाए ,उनकी चरणों की निश्रा में जीने का मकसद मिल जाये

गुरु माँ गणिनी आर्यिका श्री स्वस्तिभूषण

परम विदुषी लेखिका काव्य रत्नाकर स्वस्तिधाम प्रणेता युग प्रवर्तिका गणिनी आर्यिका श्री 105 स्वस्तिभूषण माता जी, इस नाम के अर्थ में ही कल्याण छुपा है

पूज्य गुरु माँ से प्रेरणा पा अनेकों जैन व् जैनेत्तर महानुभावों ने धर्म , प्रोफेशनल स्टडीज, कला, खेल, व्यावसाय आदि क्षेत्रों में खुद को स्थापित किया और उसका पूर्ण निष्ठा से निर्वहन कर रहे हैं और प्रगति पर अग्रसर होने हेतु पूज्य माता जी से समय समय पर प्रेरणा व आशीर्वचन लेते रहते हैं|

अगर देखा जाये तो वास्तविकता में प्रेरित वो ही कर सकते हैं जो स्वयं में प्रेरणा हों, और पूज्य गुरु माँ इस बात का जीवंत व् साक्षात उदहारण हैं, गुण रत्नो की खान नारी जाती की आभूषण गुरु माँ  गणिनी आर्यिका श्री स्वस्तिभूषण, हम सोच में भी जिसकी परिकल्पना नहीं कर सकते उसको मूर्त रूप प्रदान कर एक विश्व कीर्तिमान स्थापित किया |

वह कीर्तिमान जहाज़ के रूप में विश्व का सबसे बड़ा मंदिर स्वस्तिधाम जहाजपुर में बना, जहां भूगर्भ से प्रगटित चिंतामणि विघ्नहर सर्वारिष्ट निवारक श्री 1008 मुनिसुव्रतनाथ भगवान् विराजमान हैं, यह जिनालय आज सैंकड़ो, हज़ारों धर्मावलम्बी बंधुओं की आस्था का केंद्र बन चुका है, जहां एक ओर  श्रद्धा के उत्तुंग शिखर को यह भव्य जिनालय छू रहा है वहीँ दूसरी ओर इसकी बनावट व शिल्पकला ने अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में India Book Of Records और Golden Book of World Records में दर्ज करा लिया है |

यह सब पूज्य गुरु माँ की लगनशीलता और जिनेन्द्र चरणों में निस्वार्थ व् अटूट श्रद्धा का ही परिणाम है और भी अनेकों बातें हैं जो हमें पूज्य गुरु माँ  से प्रेरणा लेने को इंगित करती हैं जैसे

  • 24 हज़ार छात्र-छात्राओं को एक साथ सम्बोधित कर उनके ज्ञान चक्षु खोलना
  • अब तक 30,000 किलोमीटर से भी अधिक पदयात्रा कर देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी विशिष्ट शैली में जिन-धर्म प्रभावना करना
  • 50 से ज़्यादा बार निशुल्क नेत्र चिकित्सा कैम्प
  • 15 बार कृत्रिम समवशरण की रचना
  • अनेको बार वर्षायोग में शिखर जी, गिरनार जी व पावापुर की कृत्रिम रचना
  • ध्यान योग व शिक्षण शिविर में अब तक लगभग १ लाख साधर्मी बंधुओं का प्रेरणास्पद पथ प्रदर्शन
  • शाश्वत तीर्थ सम्मेद शिखर जी लगातार 126 पद वंदना
  • 100 से अधिक गद्य- पद्य कृतियों की रचना
  • भारत की 10 विभिन्न जेलों में 1000 से भी अधिक दुर्दान्त मुजरिमों को प्रवचनों द्वारा उचित मार्गदर्शन- जिसमें एक बार ऐसा वाक्या भी हुआ की एक अपराधी, पूज्य गुरु माँ के श्री चरणों में आकर अश्रुपूरित स्वर में बोला की ऐसा मार्गदर्शन यदि एक भी बार जीवन में पहले मिल गया होता तो आज मेरी यह दुर्दशा ना होती
  • अनेकों ज़रूरतमंदों की आर्थिक सामाजिक व शैक्षिण सहायता प्रदान करवाना
  • दिल्ली , रोहिणी , ग्वालियर ,रानीला में , सोनागिर में व जहाजपुर में वेदी प्रतिष्ठा एवं अनतर्राष्ट्रीय पंचकल्याणक
  • अनेकों बार थेरेपी शिविर का आयोजन
  • शुभकामना परिवारों का गठन- शुभकामना परिवार पूज्य माता जी की प्रेरणा से सम्पूर्ण भारत देश में बने हुए हैं, प्रत्येक परिवार में 12 सदस्य होते हैं जो अपने अपने नगर की विभिन्न कॉलोनियों से आते है, जिसका मूल उद्देश्य है प्रतिमाह 1 घण्टे श्री भक्तामर स्तोत्र का भक्तिपूर्वक पाठ
Buddha

Our Member Says

Nisl suscipit adipiscing bibendum est ultricies integer quis. Diam ut venenatis tellus in metus tortor consequat id porta nibh vene.
Layer 114@2x
Programs

Upcoming Events

Pharetra convallis posuere morbi leo urna molestie at elementum. Eu turpis egestas pretium aenean pharetra magna. Vel fringilla est ullamcorper.
Trending

Latest News & Blogs

Morbi tristique senectus et netus et malesuada fames. Risus sed vulputate odio ut enim blandit volutpat maecenas. Risus viverra adipiscing at.